पहली इकाई पाठ – १ चाँदनी रात

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :-

१. (क) संजाल 

उत्तर :

(ख) संजाल 

उत्तर :

२. निम्नलिखित पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए :

(च ) चारु चंद्र …………. झोंको से |

उत्तर : 
भावार्थ:
गुप्त जी चाँदनी रात का वर्णन करते हुए कहते हैं कि सुंदर चंद्रमा की किरणें जल और थल में फैली हुई हैं। संपूर्ण पृथ्वी तथा आकाश में स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है। पृथ्वी हरी-हरी घास की नोकों के माध्यम से अपनी खुशी प्रकट कर रही है। ऐसा तीत होता है, मानो वृक्ष भी मंद-मंद वायु के झोंकों से झूम रहे हैं।

(छ) क्या ही स्वच्छ  …………. शांत और चुपचाप |

उत्तर : 
भावार्थ:
पंचवटी में दूर-दूर तक चाँदनी फैली हुई है। रात सन्‍नाटे से भरी है। वायु स्वच्छंद होकर अपनी स्वतंत्र चाल से मंद-मंद बह रही है। इस समय कौन-सी दिशा है जो आनंद नहीं ले रही है ? अर्थात सभी दिशाएँ इस सौंदर्य से आनंदित हो रही हैं। ऐसे समय में भी नियति नामक शक्ति-विशेष के समस्त कार्य संपन्न हो रहे हैं। कोई रुकावट नहीं। वह एक भाव से अर्थात्‌ अकेले-अकेले और चुपचाप अपने कर्तव्यों का निर्वाह किए जा रही है।

भाषा बिंदु 

निम्न शब्दों  के पर्यायवाची शब्द लिखिए :

उत्तर :