पाठ १ : प्रेरणा

आकलन

१. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

(अ) कारण लिखिए -

(१) माँ, मेरी आवाज सुनकर रोती है-
उत्तर: माँ, मुझसे दूर है। जब भी मैं उसे फोन करता हूँ, तो वह भावविभोर होकर रोने लगती है।

(२) बच्चों को माता-पिता का प्यार टुकड़ों में मिलता है-
उत्तर: पिता कई महीने से दिन की शिफ्ट में और माता रात की शिफ्ट में काम कर रही है।

(३) कवि की उम्र बढ़ती ही नहीं है-
उत्तर: वह जब भी अपनी आँखों में देखता है, खुद को बच्चा-सा पाता है।

(आ) लिखिए -

काव्य सौंदर्य

२. (अ) ममत्व का भाव प्रकट करने वाली कोई भी एक त्रिवेणी ढूँढ़कर उसका अर्थ लिखिए।

उत्तर:  माँ मेरी बे-वजह ही रोती है
          फोन पर जब भी बात होती हे
          फोन रखने पर मैं भी रोता हूँ।
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि त्रिपुरारि जी द्वारा रचित ‘प्रेरणा’ कविता से ली गई हैं। प्रस्तुत त्रिवेणी में कवि ने माँ-बेटे के बीच के असीम प्रेम का वर्णन किया है। कवि कहता है कि घर से दूर आकर जब मैं अपनी माँ से बात करने के लिए फोन करता हूँ, तो मेरी माँ भावविभोर होकर बिना किसी कारण के रोने लगती है। उस समय मैं तो नहीं रोता, बल्कि माँ को हिम्मत बँधाता हूँ, लेकिन जैसे ही फोन बंद होता है, मेरी आँखों से भी आँसू छलक उठते हैं। मेरा दिल भी माँ के दुख से दुखी होकर, ममता की छाँव पाने के लिए आतुर हो जाता है।

(आ) निम्न पंक्तियों में से प्रतीकात्मक पंक्ति छाँटकर उसे स्पष्ट कीजिए:

१. चलते-चलते जो कभी गिर जाओ
२. रात की कोख ही से सुबह जनम लेती है
३. अपनी आँखों में जब भी देखा है
उत्तर: प्रतीकात्मक पंक्ति: (२) रात की कोख ही से सुबह जनम लेती है।
स्पष्टीकरण: ये पंक्ति बतलाती है कि दुख रूपी घोर अंधकार के बाद ही सुख रूपी उजाले का आगमन होता है।

अभिव्यक्ति

३. (अ) पालनाघर की आवश्यकता पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर: आज महँगाई सातवें आसमान पर है। ऐसे में अपने परिवार का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए शहरों में पुरुषों के साथ ही महिलाएँ भी नौकरी के लिए घर से बाहर निकलने लगी हैं। नौकरीपेशा माता- पिता के बच्चों की सही देखभाल करने के लिए ही पालनाघरों का निर्माण किया गया है। यहाँ पर बच्चों के खाने-पीने से लेकर पालन-पोषण तक के हर जरूरी पहलू पर ध्यान दिया जाता है। यहाँ अभिभावक अपने बच्चों को बिना किसी चिंता के छोड़ सकते हैं। इस तरह एक ओर उन्हें नौकरी करने में कोई परेशानी नहीं होती है और दूसरी ओर बच्चों की देखभाल भी सही ढंग से हो जाती है। भागती-दौड़ती इस जिंदगी में समय की कमी और आर्थिक तंगी के कारण पालनाघर की आवश्यकता बहुत बढ़ गयी है।

(आ) नौकरीपेशा अभिभावकों के बच्चों के पालन की समस्या पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: पति-पत्नी के नौकरीपेशा होने से उनकी आर्थिक स्थिति तो मजबूत हो जाती है, लेकिन इससे उनकी संतानों के पालन में बहुत-सी समस्याएँ आती हैं। बच्चे दिनभर माता-पिता से दूर रहते हैं। यदि परिवार में कोई अन्य सदस्य है, तो बच्चे उनके साथ या फिर पालनाघर में अपना पूरा दिन बिता देते हैं। उन्हें माता-पिता का स्नेह नहीं मिल पाता है। माता-पिता भी समय की कमी के कारण बच्चे पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते हैं। इससे माता-पिता व बच्चों के बीच के संबंध पर प्रभाव पड़ता है। कुछ बच्चे तो गलत संगत में पड़ जाते हैं। इससे उनके जीवन में परेशानी बढ़ जाती है। इस तरह नौकरीपेशा अभिभावकों को बच्चों के पालन में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

रसास्वादन

४. आधुनिक जीवन शैली के कारण निर्मित समस्याओं से जूझने की प्रेरणा इन त्रिवेणियों से मिलती है, स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: त्रिपुरारि जी दवारा रचित ‘प्रेरणा’ कविता ‘साँस’ के सिक्के नामक त्रिवेणी-संग्रह का एक छोटा-सा अंश है। प्रस्तुत त्रिवेणियों में कवि ने माता, पिता और पुत्र के प्रेम संबंध को दर्शाने के साथ ही सुख-दुख की स्थिति में स्थिर रहने का महत्त्वपूर्ण संदेश दिया है। माता-पिता के मन में अपने बच्चे के प्रति बहुत अधिक प्रेम होता है। आधुनिक जीवन शैली के इस युग में सभी का जीवन संघर्षों से भरा हुआ है। नौकरी के कारण कहीं कोई बेटा अपने परिवार से दूर हो रहा है, तो कहीं किसी मासूम बच्चे को माता-पिता का भरपूर प्यार नहीं मिल पा रहा है। मनुष्य को अपने जीवन में असफलताओं से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उनसे शिक्षा लेनी चाहिए। अपनी असफलता के कारणों का पता लगाकर उनमें सुधार कर इंसान सफलता प्राप्त कर सकता है। मनुष्य के जीवन के अंतिम क्षण तक सुख-दुख का आना-जाना लगा रहेगा। सुख-दुख एक ही सिक्‍के के दो पहलू हैं। अत: मनुष्य को सुख और दुख दोनों परिस्थितियों में स्थिर रहना चाहिए। यह एक नए प्रकार की कविता है। सरल व सहज भाषा के कारण यह कविता और अधिक व्यापक व प्रभावी बन गई है। इसके साथ ही लयात्मक शब्दों का प्रयोग इस कविता को गेय बना देता है। प्रस्तुत कविता की प्रत्येक त्रिवेणी अपने आप में पूर्ण है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

५. जानकारी दीजिए:

(अ) “त्रिवेणी’ काव्य प्रकार की विशेषताएँ–
उत्तर: (१) यह तीन पंक्तियों का मुक्त छंद है।
(२) इसकी पहली और दूसरी पंक्तियाँ भाव व विचारों को दर्शाती हैं, जबकि तीसरी पंक्ति दोनों पंक्तियों में निहित भावों को नए आयाम तक पहुँचाती है।
(आ) त्रिपुरारि जी की अन्य रचनाएँ-
उत्तर: नींद की नदी (कविता-संग्रह), नॉर्थ कैंपस (कहानी-संग्रह), साँस के सिक्के (त्रिवेणी-संग्रह) आदि।

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