दूसरी इकाई पाठ – २. जंगल

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :-

(क) प्रवाह तालिका : कहानी के पात्र तथा उनके स्वभाव की विशेषताएँ :-

उत्तर :

(ख) पहचानिए रिश्ते :

उत्तर : 

(१) दादी – तविषा → सास – बहू

(२) पीयूष  – शैलेश → पुत्र  – पिता 

(३) तविषा  – शैलेश →  पत्नी   – पति 

(४) शैलेश  – दादी → पुत्र   – माता

(ख) बड़ों के द्वारा दी गई सीख-

२) पत्र लेखन :-

           गरमी की छुट्टियों में महानगरपालिका /नगर परिषद/ग्राम पंचायतों दूवारा पक्षियों के लिए बनाए घोंसले तथा चुग्गा- दाना-पानी की व्यवस्था किए जाने के कारण संबंधित विभाग की प्रशंसा करते हुए पत्र लिखिए ।

उत्तर : 

३० मई, २०१९
सेवा में,
माननीय पर्यावरण विभाग अधिकारी,
महानगरपालिका,
नागपुर – ४४११०४

विषय : पक्षियों के लिए घोंसले तथा दाना-पानी की व्यवस्था किए जाने के कारण प्रशंसा हेतु पत्र।

महोदय,

मैं इस पत्र के दवारा आपके विभाग की प्रशंसा करना चाहता हूँ; क्योंकि आपके कर्मचारियों ने भूगाँव में पक्षियों के लिए घोंसले तथा चुग्गा, दाना-पानी की जो व्यवस्था की है वह प्रशंसनीय है। यह बहुत ही पुण्य

का कार्य है। हर साल गरमी के मौसम में कई पक्षी पानी न मिलने के कारण मर जाते थे पर आप के इस शुभ कार्य से सैकड़ों पक्षियों की जान बच जाएगी। आपने यह पवित्र कार्य करके हमें पक्षियों के प्रति प्रेम करने की सीख दी है । मैं आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ।

धन्यवाद!

आपका विश्वासी,
राकेश शर्मा
भूगाँव
नागपुर – ४४११०४
xyz@abc.com

३) कहानी लेखन :-
       दिए गए शब्दों की सहायता से कहानी लेखन कीजिए । उसे उचित शीर्षक देकर प्राप्त होने वाली सीख भी लिखिए :-
       अकाल, तालाब, जनसहायता, परिणाम

उत्तर : 

         राजस्थान के जयपुर शहर में एक गाँव है। इस गाँव में आज से एक दशक पहले तक स्थिति बहुत भयानक थी। पानी की बहुत कमी थी जिससे यहाँ के लोगों का जीना दूभर हो गया था। लोग सेठ-साहुकारों के कर्ज से दबे थे। अशिक्षा, गरीबी जैसी महामारी से जूझ रहे थे। उसपे पिछले दो वर्षों से वर्षा भी नहीं हुई। जैसे इस गाँव में किसी का श्राप हो। आखिरकार इस मुसीबत से लड़ने का गाँव वालों ने फैसला कर लिया। गाँव में रहने वाले एक हजार युवा पीढ़ी ने गाँव से २० किलोमीटर टूर पर बहने वाली एक नदी से अपने गाँव तक नहर खोदकर लाने का फैसला कर लिया। और उस पानी को संचित स्वरूप में रखने के लिए कई छोटे छोटे तालाब बनाने की योजना बनाई।

  जन सहायता से आखिरकार इस योजना को साकार कर लिया गया। लोगों ने दिन-रात कड़ी मेहनत करके चार दिन के अंदर ही नहर खोदने का काम पूरा कर लिया। और पाँचवे दिन उस नहर में पानी आ गया। गाँव के लोगों को उनके मेहनत का परिणाम मिल ही गया। लोगों में खुशी उमड़ गई, लोगों ने एक
टूसरे को बधाई दी।

  किसानों ने अपनी अपनी खेती का काम शुरू किया। तालाब भरने लगे। गाँव में खुशि लौट आई। कुछ वर्षों बाद अनाज का उत्पादन इतना हुआ कि लोगों ने उसे बेचकर लाखों रुपया कमाया। गाँव में पशुओं की संख्या भी बढ़ गई दूध-दही का उत्पादन इतना बढ़ गया कि लोगों ने उसके व्यापार से भी काफी पैसा कमाया। अब इस गाँव में कोई गरीब और कर्जदार नहीं रहा। गाँव में विद्यालय, हॉस्पिटल, कई उद्योग धंधे शुरू हो गए, जिससे यह गाँव समृद्ध हो गया।  

सीख : मनुष्य यदि मुसीबतों का सामना करे तो उसे कोई न कोई राह मिल ही जाती है।

error: Content is protected !!