पाठ २ : लक्ष्मी

स्वाध्याय

* सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :-

(१) संजाल पूर्ण कीजिए :

 

(२) उचित घटनाक्रम लगाकर वाक्य फिर से लिखिए :

१. उसके गले में रस्सी थी ।
२. रहमान बड़ा मुर्ख है ।
३. वह लक्ष्मी को सड़क पर ले आया ।
४. उसने तुम्हे बड़ी बेदर्दी से पीटा है ।
उत्तर
(१) उसने तुम्हे बड़ी बेदर्दी से पीटा है ।
(२) रहमान बड़ा मुर्ख है ।
(३) उसके गले में रस्सी थी ।
(४) वह लक्ष्मी को सड़क पर ले आया ।

(३) उत्तर लिखिए :

(४) गलत वाक्या, सही करके लिखिए :

(१)  करामत अली पिछले चार सालो से गाय की सेवा करता चला आ रहा था ।
उत्तर: करामत अली पिछले एक साल से गाय की सेवा करता चला आ रहा था ।
(२)  करामत अली को लक्ष्मी की पीठ पर रोगन लगाने के बाद इत्मीनान हुआ ।
उत्तर: करामत अली को लक्ष्मी की पीठ पर रोगन लगाने के बाद भी इत्मीनान नहीं हुआ ।

(५) निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर वर्णन कीजिए :

(६) कारण लिखिए :

(१)  करामत अली लक्ष्मी के लिए सानी तैयार करने लगा ।
उत्तर: क्योंकि सवेरे से रमजनी ने लक्ष्मी को खाने के लिए कुछ नही दिया था ।
(२) रमजनी ने करामत अली को रोगन दिया ।
उत्तर: क्योंकि करामत के बेटे ने बड़ी ही बेरहमी से लक्ष्मी को पीटा था जिस कारण उसकी पीठ पर घाव हो गए थे ।
(३) रहमान ने लक्ष्मी को इलाके के बाहर छोड़ दिया ।
उत्तर: ताकि लक्ष्मी स्वंय अपने से खाने का प्रबंध कर सके ।
(४) करामत अली ने लक्ष्मी को गऊशाला में भरती किया ।
उत्तर: क्योंकि गऊशाला में पालतू जानवरों की उचित देखभाल और सेवा की जाती थी ।

(७) हिंदी-मराठी में समोच्चारित शब्दों के भिन्न अर्थ लिखिए:

अभिव्यक्ति

‘यदि आप करामत अली की जगह पर होते तो’ इस संदर्भ में अपना विचार लिखिए ।
उत्तर :
जिस प्रकार धरती पर मनुष्य को जीने का अधिकार है। उसी प्रकार अन्य प्राणियों को भी जीवन जीने का अधिकार है प्राणियों के प्रति दयाभाव रखकर मनुष्य मानवता का कार्य कर सकता है। प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है की वह प्राणियों की रक्षा करे व उनके लिए खाने की सामग्री उपलब्ध कराये गाय, बैल, कुत्ता, बिल्ली, गधा, तरह-तरह के पक्षी आदि सभी प्राणी ही है यदि ये नहीं रहेंगे तो पर्यावरण संतुलन बिगड़ जायेगा इसलिए इनका संरक्षण करने में ही सबकी भलाई है ।

भाषा बिंदु

 निम्नलिखित वाक्यों में उचित विरामचिन्हों का प्रयोग कर वाक्य पुनः लिखिए।
१. ओह कंबख्त ने कितनी बेदर्दी से पीटा है
उत्तर: “ओह! कंबख्त ने कितनी बेदर्दी से पीटा है।’”
२. मैंने कराहते हुए पूछा मैं कहाँ हूँ
उत्तर: मैंने कराहते हुए पूछा, “मैं कहाँ हूँ ?”
३. मँझली भाभी मुट्ठी भर बुँदियाँ सूप में फेंककर चली गई
उत्तर: मँझली भाभी मुट्ठी भर बुँदियाँ सूप में फेंककर चली गई।
४. बड़ी बेटी ने ससुराल से संवाद भेजा है उसकी ननद रूठी हुई है मोथी की शीतलपाटी के लिए
उत्तर: “बड़ी बेटी ने ससुराल से संवाद भेजा है, उसकी ननद रूठी हुई है, मोथी की शीतलपाटी के लिए।”
५. केवल टीका नथुनी और बिछिया रख लिए थे
उत्तर: केवल टीका, नथुनी और बिछिया रख लिए थे।
६. ठहरो मैं माँ से जाकर कहती हूँ इतनी बड़ी बात
उत्तर: “ठहरो, मैं माँ से जाकर कहती हूँ, इतनी बड़ी बात।’”
७. टाँग का टूटना यानी सार्वजनिक अस्तपाल में कुछ दिन रहना
उत्तर: ‘टाँग का टूटना’ यानी सार्वजनिक अस्पताल में कुछ दिन रहना।
८. जल्दी जल्दी पैर बढ़ा
उत्तर: “जल्दी-जल्दी पैर बढ़ा।”
९. लक्ष्मी चल अरे गऊशाला यहाँ से दो किलोमीटर दूर है
उत्तर: “लक्ष्मी चल, अरे गऊशाला यहाँ से दो किलोमीटर दूर है।”
१०. मानो उनकी एक आँख पूछ रही हो कहो कविता कैसी रही
उत्तर: मानो, उनकी एक आँख पूछ रही हो, “कहो, कविता कैसी रही?”

(२) निम्नलिखित विरामचिन्हों का उपयोग करते हुए बारह-पंद्रह वाक्यों का परिच्छेद लिखिए

उपयोजित लेखन

किसी पालतू प्राणी की आत्मकथा लिखिए।
उत्तर :  “ठहरिए, कहाँ जा रहे हो ? तनिक रुककर मेरी कहानी सुनिए। मैं हूँ तकदीर का मारा, बेचारा, वृद्ध जानवर। मैं एक अल्सेसिशयन प्रजाति का कुत्ता हूँ। मैं भारत में इटली से आया था। उस वक्‍त मैं बहुत छोटा था। दरअसल मुझे कुछ लोगों ने मेरे माँ-बाप से अलग कर भारत में बेचने के लिए भेजा था। जब मुझे भारत में लाया जा रहा था तब मैं बहुत दुखी था मुझे बार-बार अपने माता- पिता की याद आ रही थी; लेकिन मेरा दुखड़ा कौन सुनता ? प्राणियों की एक बड़ी दुकान में मुझे बेचने के लिए रखा गया। मेरी कीमत भी अधिक थी। हर दिन कई लोग आते व मुझे देखते रहते। एक दिन एक अमीर आदमी दुकान में आया और उसने मुझे खरीद लिया। वह मुझे अपने घर ले गया। उसका घर क्या था? बहुत ही बड़ा बंगला था उसका।  उसके घर में ढेर सारे नौकर थे। मेरे लिए एक अलग कमरे की व्यवस्था की गई। उसका एक बेटा था। वह मुझे देखकर बहुत ही खुश हुआ और मेरे साथ खेलने लगा। जल्द ही हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए। आहिस्ता-आहिस्ता मैं अपने माता-पिता को भूल गया और उस संपन्न घर में बड़े ही आराम से रहने लगा। समय अपनी अबाध गति से बीतता रहा। मैं बड़ा हो गया। मैं उनके घर की रखवाली करने लगा। मेरे होते हुए किसी की क्‍या मजाल कि कोई किसी चीज को छू ले। यहाँ तक कि घर के सारे नौकर भी मुझसे डरते थे। मेरे लिए खाने-पीने की कोई कमी नहीं थी। दिन में चार बार मुझे खाने के लिए अच्छी-अच्छी चीजें दी जाती थीं। मैं भी भरपेट खाना खाता था और बंगले में चारों ओर स्वच्छंद विचरण करता रहता था। घर के सभी सदस्य मुझसे बहुत प्यार करते थे। मुझे ऐसा लगने लगा था कि मानो, मेरे मन की मुराद पूरी हो गई हो। वृद्धावस्था से क्या कोई निजात पा सकता है? मैं भी वृद्ध हो गया। चलने-फिरने में असमर्थ हो गया। तब घर के सारे सदस्यों पर मैं बोझ बनने लगा। घर के लोग मुझे खाना तो देते थे, पर पहले जैसा प्यार नहीं करते थे; मुझे दुलारते नहीं थे। मैं बीमार रहने लगा। तब एक दिन घर के मालिक ने मुझे अपनी आलीशान कार में बिठाकर घर से दूर सड़क के एक किनारे छोड़ दिया। तब से मैं अकेला हो गया हूँ। अब मेरे पास जीवन जीने का कोई अर्थ नहीं रह गया है। यह इंसान कितना निर्दयी और स्वार्थी है। उसे जब अपना जी बहलाने के लिए किसी की जरूरत होती है; तब वह उसके लिए सब कुछ करने के लिए तैयार हो जाता है और जब उसका जी भर जाता है, तब वह उस चीज को अपने जीवन से दूर कर देता है। क्या खूब! आखिर, यही होते हैं इंसान के जीवन के असली रंग। खैर कोई बात नहीं, जिस ईश्वर ने मुझे जन्म दिया है, आखिर वही मेरी हिफाजत करेगा।”!

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